
मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शब्दार्थ:
- ॐ: सर्वव्यापक ब्रह्म का प्रतीक।
- त्र्यम्बकं: तीन नेत्रों वाले (भगवान शिव)।
- यजामहे: हम पूजन करते हैं।
- सुगन्धिं: सुगंधित, जो जीवन को मधुर बनाते हैं।
- पुष्टिवर्धनम्: पोषण और वृद्धि करने वाले।
- उर्वारुकमिव: खीरे की भांति।
- बन्धनान्: बंधन से।
- मृत्योः: मृत्यु से।
- मुक्षीय: मुक्त करें।
- मा अमृतात्: अमृत से वंचित न करें।
व्याख्या:
हम तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो जीवन को सुगंधित और पोषित करते हैं। जैसे खीरा अपने डंठल से सहज ही अलग हो जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें और अमरत्व प्रदान करें।
महामृत्युंजय मंत्र का महत्व
यह मंत्र यजुर्वेद से लिया गया है और इसे ‘मृत्यु को जीतने वाला’ कहा जाता है। मान्यता है कि इसका नियमित जाप करने से:
- अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
- गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप की विधि
समय और स्थान:
- ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) का समय सर्वोत्तम माना जाता है।
- शांत और पवित्र स्थान का चयन करें।
पूर्व तैयारी:
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करें और दीपक, धूप आदि की व्यवस्था करें।
- भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के समक्ष बैठें।
जाप विधि:
- कुशा के आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
- मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध रूप से करें।
- प्रत्येक दिन कम से कम 108 बार जाप करें।
नियम:
- मंत्र जाप के दौरान मांस, मदिरा आदि से दूर रहें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- जाप के समय मन को एकाग्र रखें और अन्य विचारों से बचें।
महामृत्युंजय मंत्र के लाभ
- स्वास्थ्य लाभ: गंभीर रोगों से मुक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि।
- मानसिक शांति: तनाव, चिंता और भय से मुक्ति।
- आध्यात्मिक उन्नति: ध्यान और साधना में सहायता।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: घर और जीवन में सकारात्मकता का संचार।
- ग्रह दोषों से मुक्ति: ज्योतिषीय दोषों का निवारण।
विशेष अवसरों पर जाप
- श्रावण मास: भगवान शिव का प्रिय महीना, इस दौरान जाप का विशेष महत्व होता है।
- सोमवार: शिवजी का दिन, जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
- पूर्णिमा और अमावस्या: आध्यात्मिक साधना के लिए उत्तम दिन।
निष्कर्ष
महामृत्युंजय मंत्र एक शक्तिशाली वैदिक मंत्र है, जो जीवन के विभिन्न संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इसका नियमित और विधिपूर्वक जाप करने से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनता है। यह मंत्र न केवल मृत्यु के भय को दूर करता है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
नोट: यदि आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहते हैं, तो किसी योग्य पंडित या गुरु से मार्गदर्शन अवश्य लें, ताकि आप सही विधि और नियमों का पालन कर सकें।